जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। क्या देश का उड्डयन सेक्टर राम भरोसे चल रहा है? एविएशन सेक्टर की नियामक एजेंसी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने पिछले दिनों एयर इंडिया की उड़ान संख्या एआइ-171 के हादसे के बाद जब मुंबई, दिल्ली समेत कुछ प्रमुख हवाई अड्डों का समग्र तौर पर निरीक्षण किया और उसमें जो बातें सामने आई हैं उससे तो ऐसा ही लगता है।

24 जून, 2025 को डीजीसीए ने बताया है कि यात्री विमानों में बार-बार एक ही तरह की खराबी आई है लेकिन उसे नजरअंदाज किया जाता है, विमानों के रख-रखाव को लेकर सरकारी नियमों की अनदेखी की जाती है, एयरक्राफ्ट में खराबी की रिपोर्ट को लॉगबुक में दर्ज नहीं कराया जाता, इमरजेंसी में इस्तेमाल होने वाले जीवन रक्षक पेटिका वहां नहीं होते जहां होने चाहिए आदि-आदि। एयरपोर्ट के आस पास काफी निर्माण हो रहे हैं लेकिन उनका कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया जो नियमों के मुताबिक एक निश्चित अंतराल पर होनी चाहिए।

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यह विमानों की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है। इस तरह की दर्जनों खामियों का खुलासा डीजीसीए ने किया है जो ना सिर्फ भारत के नागरिक उड्डयन सेक्टर की कंपनियों की कलई खोल दी है बल्कि समूचे सेक्टर की निगरानी की मौजूदा व्यवस्था पर भी सवाल उठा रहा है। अगर डीजीसीए ने अहमदाबाद-लंदन उड़ान हादसे के बाद यह निरीक्षण नहीं किया होता तो सब कुछ ऐसे ही चल रहा होता। वैसे यह भी अजीब बात है कि डीजीसीए ने उन विमान कंपनियों या हवाई अड्डे के संचालन का प्रबंधन करने वाली कंपनियों के नाम नहीं बताये हैं। साफ तौर पर यह भी नहीं बताया गया है कि किस हवाई अड्डे पर किस तरह की खामिया पाई गई हैं।

इससे डीजीसीए की गंभीरता पर भी सवाल उठता है। डीजीसीए ने कहा है कि, “उड़ान संचालन, एयरवर्दीनेस (उड़ान भरने लायक विमान है या नहीं), रैम्प सेफ्टी (हवाई अड्डा का वह क्षेत्र जहां विमान पार्क होता है), एयर ट्रैफिक कंट्रोल, कम्यूनिकेशन, नेवीगेशन व सर्विलांस सिस्टम और उड़ाने से पहले की चिकित्सा मूल्यांकन की समीक्षा की गई है। इसमें यह पता चला है कि विमानों में खामियों को दूर करने को लेकर प्रभावहीन निगरानी और उनमें सुधार करने की अपर्याप्त कदम उठाये जाते हैं।''

किसी एयरपोर्ट पर यह पाया गया है कि रनवे पर एक सीधी लाइन जो होती है वह फींकी पड़ गई है। इसी तरह से किसी एयरलाइन की उड़ानें इसलिए रद्द की गई कि उसके पहिये के टायर फटे हुए थे। विमानों के रखरखाव को लेकर कई तरह की खामियों का भी पता चला है।

इसमें मुख्य तौर पर यह बात सामने आई है कि इस बारे में डीजीसीए के जो नियम हैं उसके हिसाब से सुरक्षा से जुड़े मानकों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इसमें किसी एयरलाइन के बारे में बताया गया है कि उसने जो सिमुलेटर उपलब्ध कराया है वह कंपनी के विमान से मैच नहीं करता। जबकि इसका सॉफ्टवेयर भी अपडेटेड नहीं है।

डीजीसीए ने कहा है कि जो भी खामियां मिली हैं, उससे संबंधित कंपनियों को अवगत करा दिया गया है। कंपनियों को कहा गया है कि इन खामियों को सात दिनों के भीतर दूर किया जाए। इस तरह की निगरानी आगे भी जारी