अगर सिबिल स्कोर खराब है तो बैंक में नौकरी पर लटक सकती है तलवार
माला दीक्षित, नई दिल्ली। ये तो ज्यादातर लोगों को मालूम होगा कि सिबिल स्कोर खराब होने पर बैंक या वित्तीय संस्थान कर्ज नहीं देते लेकिन ये कम ही लोगों को मालूम होगा कि सिबिल स्कोर खराब होने पर नौकरी भी जा सकती है। ऐसे ही एक मामले में स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआइ) ने सिबिल स्कोर खराब होने पर एक कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। इतना ही नहीं मद्रास हाई कोर्ट ने भी कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त किये जाने के एसबीआइ के निणर्य को सही ठहराया है।
हाई कोर्ट ने बर्खास्त कर्मचारी की याचिका खारिज कर दी है। मौजूदा मामला चेन्नई में एसबीआइ में सर्किल बेस्ड आफीसर (सीबीओ) की नियुक्ति का था। सिबिल स्कोर खराब होने के आधार पर नियुक्ति पत्र निरस्त कर नौकरी से निकाले गए कर्मचारी पी. कार्तिकेयन ने मद्रास हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर नौकरी से निकाले जाने का आदेश रद करने की मांग की थी और उसे वापस नौकरी पर रखे जाने का आदेश मांगा था।
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मद्रास हाई कोर्ट की न्यायाधीश एन. माला ने गत 2 जून को दिए आदेश में याचिका खारिज कर दी। हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि मामले में एक और महत्वपूर्ण पहलू है जिसका यहां जिक्र होना आवश्यक है और वह ये है कि बैंक ने विवेकपूर्ण निर्णय लिया कि जिस उम्मीदवार का कर्ज चुकाने में चूक करने और खराब सिबिल स्कोर वालों या बाहरी एजेंसियों की प्रतिकूल रिपोर्ट वालों को अयोग्य माना है। कोर्ट ने कहा कि इसके पीछे संभावित तौर पर यह कारण हो सकता है कि बैंकिंग के कामकाज में लोग पब्लिक मनी से डील करते हैं और इसलिए सख्ती से वित्तीय अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा सार्वजनिक धन से संबंधित कार्यकुशलता होनी चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि खराब वित्तीय अनुशासन या जिनमें वित्तीय अनुशासन नहीं है उन पर सार्वजनिक धन से संबंधित कामकाज करने का भरोसा नहीं किया जा सकता है। बैंक की ओर से पेश सिबिल रिपोर्ट को देखकर कोर्ट ने पाया कि बैंक के मुताबिक 2016 से 2021 के बीच याचिकाकर्ता के खिलाफ 9 अनियमित क्रैडिट फैसेलिटी थीं और 10 से अधिक लोन जांच थीं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने लोन के भुगतान में चूक की बात भी स्वीकार की है। ऐसे में कोर्ट ने भेदभाव की दलील ठुकराते हुए याचिका खारिज कर दी ।
क्या था मामला
इस मामले में याचिकाकर्ता ने एसबीआइ में सीबीओ भर्ती की 27 जुलाई 2020 की निकली अधिसूचना के तहत आवेदन किया। लिखित परीक्षा और साक्षात्कार पास किया साथ ही मेडिकल जांचऔर सारे प्रामणपत्र व सिबिल देखने के बाद उसे 12 मार्च 2021 को नियुक्ति पत्र जारी किया गया। उसका कहना था कि 12 मार्च 2021 को बैंक ने उसकी सिबिल रिपोर्ट देखी और 16 मार्च को उसे सत्यापित करके उस पर याचिकाकर्ता से स्पष्टीकरण मांगा गया।
याचिकाकर्ता ने स्पष्टीकरण दिया और नौकरी जारी रखने का अनुरोध किया लेकिन बैंक ने खराब सिबिल रिपोर्ट के आधार पर उसका नियुक्ति पत्र रद कर दिया। जबकि याचिकाकर्ता का कहना था कि अधिसूचना की तिथि पर उस पर कोई कर्ज बाकी नहीं था और उसने सारा कर्ज चुका था ऐसे में पात्रता नियम क्लाज एक (ई) को आधार बनाकर उसे नौकरी से निकालना गलत है। लेकिन बैंक ने हाई कोर्ट मे कहा कि पात्रता मानदंड के मुताबिक लोन चुकाने में चूक करने वाले खराब सिबिल स्कोर वाले या इस बारे में बाहरी एजेंसियों की प्रतिकूल रिपोर्ट वाले उम्मीदवार नियुक्ति के लिए योग्य नहीं थे। कहा याचिकाकर्ता की सिबिल रिपोर्ट में लोन चुकाने और क्रैडिट कार्ड के उपयोग के बारे में प्रतिकूल क्रेडिट इतिहास का पता चला है इसलिए उसे पात्रता मानदंड के क्लाज वन (ई) के तहत अयोग्य पाया गया।
बैंक ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता ने इस महत्वपूर्ण जानकारी को छुपाया था ऐसे में उसे नौकरी जारी रखने का दावा करने का अधिकार नहीं है। कहा कि याचिकाकर्ता ने लोन की एक से ज्यादा किस्तों का भुगतान नहीं किया था इसलिए वह दूसरों के मामलों से तुलना नहीं कर सकता उसका मामला अलग है।
